शिवरातिके व्रत विधिके अध्ययन करु। इ पूरा एतय वर्षकृत्यम सँ लेल गेल अछि।
तत्र महाशिवरात्रि-व्रतारम्भ-प्रकार:- फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्यां प्रातः कृत-स्नानादिः आचमनं विधाय उत्तराभिमुखी वारिपूर्ण- ताम्रपात्रमादाय
ताहि में शिवरात्रि व्रत के आरम्भ करवाक विधान-फाल्गुन | कृष्ण चतुर्दशी में प्रातः काल स्नान आदि नित्यक्रिया कय उत्तरमुख भय जल भरल तामक पात्र लड
ॐ भगवन् सूर्य भगवत्यो देवता अद्यादि चतुर्दशवर्ष यावत् प्रतिफाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यां शिवरात्रिव्रतमहं करिष्ये ।
इति निवेद्य कुशादिकमादाय
एहि प्रकारें व्रत निवेदन कय कुश, तिल, जल लय-
ॐ अमुकगोत्रस्याऽमुकशर्मणो समान्तकालिकशिवानुचरत्वशिवलोकसहितत्वदेवसाहित्यसुरालयभ्रमणभूपालत्व सार्वदिकशिवभक्तिरूपबुद्धिविवेकाऽ नाहताज्ञत्वलक्ष्मीगोधन प्राप्तिकामोऽद्यादिचतुर्दशवर्ष यावत् प्रतिफाल्गुनकृष्ण | चतुर्दश्यां शिवरात्रिव्रतमहं करिष्ये।
इति संकल्प्य व्रतारम्भं कुर्यात्
एहि प्रकारें संकल्प का व्रत के आरम्भ करथि। एहि शिवरात्रि व्रत में अहोरात्र २४ घण्टा उपवास करवाक चाही। रात्रि में जागरण करैत पूजा, कथा आदि सँ समय वितावथि। एहि में असमर्थ व्यक्ति केवल दिन भरि उपवास कय सायंकाल शिवजी क पूजा कय भोजन करैत छथि जकर मिथिला में विशेष व्यवहार अछि। ई नक्तवत कहवैछ—
टिपण्णी सभ