दूर्वाक्षत मंत्र, मैथिली अर्थ सहित
दुर्वाक्षत मंत्र एवं अर्थ (मैथिली में)
ॐ आब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्यौऽतिव्याधि महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिः पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायाताम् । निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न औषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम्।
मैथिली अर्थ: हे ईश्वर! हमरा राष्ट्रमे ब्रह्मवर्चसी (ज्ञानसँ युक्त) ब्राह्मण उत्पन्न होथि। शूरवीर, इषुधारी, युद्धकुशल, महारथी क्षत्रिय जनमथि। दुधबाली गाइ, भारवहनमे सक्षम बैल, आ द्रुतगामी घोड़ा होथि। स्त्रिगण गुणी होथि। रथयात्रा करैवाला सब जयशील होथि। सभामे आसन लए योग्य पुत्र होथि। आवश्यकता अनुसार वर्षा हो, फसल-औषधि फलदायी होथि। योग-क्षेम (प्राप्ति आ संरक्षण) सुनिश्चित हो।
ई मंत्र राष्ट्र, समाज आ परिवारक समृद्धि लेल प्रार्थनात्मक अछि।
Bahut sunder
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